HI: फ्यूचर्स ट्रेडिंग क्या है

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फ्यूचर्स ट्रेडिंग क्या है

क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया में, स्पॉट मार्केट में सीधे संपत्ति खरीदना और बेचना सबसे आम तरीका है। लेकिन एक और शक्तिशाली उपकरण है जिसे फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट कहा जाता है, और यह फ्यूचर्स ट्रेडिंग का आधार है। यदि आप क्रिप्टो ट्रेडिंग के लिए शुरुआती कदम उठा रहे हैं, तो फ्यूचर्स ट्रेडिंग को समझना आपके ट्रेडिंग कौशल को बढ़ा सकता है, खासकर जब बात जोखिम प्रबंधन और लाभ की संभावना की आती है।

स्पॉट ट्रेडिंग बनाम फ्यूचर्स ट्रेडिंग

स्पॉट ट्रेडिंग में, आप वास्तव में उस संपत्ति (जैसे बिटकॉइन) के मालिक होते हैं जिसे आप खरीदते हैं। यदि आप 1000 डॉलर का बिटकॉइन खरीदते हैं, तो वह आपके स्पॉट वॉलेट और फ्यूचर्स मार्जिन में जमा हो जाता है।

फ्यूचर्स ट्रेडिंग अलग है। यह एक समझौता है, एक अनुबंध है, जो आपको भविष्य की एक निश्चित तारीख पर किसी संपत्ति को एक पूर्व-निर्धारित मूल्य पर खरीदने या बेचने का अधिकार (या दायित्व) देता है। आप वास्तव में अंतर्निहित संपत्ति के मालिक नहीं होते हैं; आप केवल उस संपत्ति की कीमत में होने वाले उतार-चढ़ाव पर दांव लगा रहे होते हैं।

फ्यूचर्स ट्रेडिंग का मुख्य आकर्षण लीवरेज का शुरुआती परिचय है। लीवरेज आपको अपनी पूंजी से कहीं अधिक बड़े ट्रेडों को नियंत्रित करने की अनुमति देता है। यह फ्यूचर्स में लाभ की संभावना को बढ़ाता है, लेकिन यह नुकसान के जोखिम को भी उसी अनुपात में बढ़ा देता है।

फ्यूचर्स ट्रेडिंग कैसे काम करती है?

एक फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट अनिवार्य रूप से एक मानकीकृत समझौता है। क्रिप्टोकरेंसी में, ये अनुबंध अक्सर USD-मूल्यवर्गित होते हैं, भले ही आप अंतर्निहित संपत्ति (जैसे इथेरियम) में व्यापार कर रहे हों।

फ्यूचर्स ट्रेडिंग में दो मुख्य प्रकार के ऑर्डर होते हैं:

1. **लॉन्ग (Long):** यह तब लिया जाता है जब ट्रेडर को लगता है कि कीमत बढ़ेगी। यह स्पॉट मार्केट में खरीदने जैसा है, लेकिन लीवरेज के साथ। 2. **शॉर्ट (Short):** यह तब लिया जाता है जब ट्रेडर को लगता है कि कीमत गिरेगी। यह फ्यूचर्स का एक अनूठा लाभ है, क्योंकि आप बाजार नीचे जाने पर भी पैसा कमा सकते हैं।

फ्यूचर्स बाजार में, कीमतों को अक्सर प्रीमियम या डिस्काउंट पर कारोबार किया जाता है, जो स्पॉट कीमत से अलग होता है। यदि फ्यूचर्स की कीमत स्पॉट कीमत से अधिक है, तो इसे कॉन्टैंगो कहते हैं। इसके विपरीत, यदि फ्यूचर्स की कीमत कम है, तो इसे बैकवर्डेशन कहते हैं। बाजार की स्थितियों को समझने के लिए यह जानना महत्वपूर्ण है, खासकर जब आप अनुबंधों को रोलओवर करने की योजना बना रहे हों, जैसा कि What Is Backwardation and How Does It Affect Futures? में बताया गया है।

फंडिंग रेट या 资金费率 भी फ्यूचर्स ट्रेडिंग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, खासकर परपेचुअल फ्यूचर्स में। यह वह दर है जिस पर लॉन्ग और शॉर्ट पोजीशन वाले ट्रेडर एक दूसरे को भुगतान करते हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि फ्यूचर्स की कीमत स्पॉट कीमत के करीब रहे।

स्पॉट होल्डिंग्स को फ्यूचर्स से संतुलित करना (हेजिंग)

फ्यूचर्स ट्रेडिंग का एक उन्नत लेकिन अत्यंत उपयोगी अनुप्रयोग हेजिंग है। हेजिंग का अर्थ है अपने मौजूदा स्पॉट ट्रेडिंग में लाभ कमाना या अपनी संपत्ति को संभावित मूल्य गिरावट से बचाना।

मान लीजिए कि आपके पास स्पॉट वॉलेट में 1 बिटकॉइन है, जिसकी कीमत 50,000 डॉलर है। आप मानते हैं कि बिटकॉइन एक मजबूत संपत्ति है, लेकिन अगले महीने बाजार में अस्थायी गिरावट आ सकती है। आप अपना स्पॉट बिटकॉइन बेचना नहीं चाहते हैं (क्योंकि आप दीर्घकालिक मालिक हैं)।

इस स्थिति में, आप आंशिक हेजिंग के लिए फ्यूचर्स का उपयोग कर सकते हैं।

    • उदाहरण: आंशिक हेजिंग**

आप 0.5 BTC के बराबर मूल्य के लिए एक शॉर्ट फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट लेते हैं।

  • **स्थिति:** आपके पास 1 BTC स्पॉट में है।
  • **हेजिंग:** आपने 0.5 BTC के बराबर मूल्य पर एक शॉर्ट फ्यूचर्स पोजीशन ली।

यदि बिटकॉइन की कीमत 10% गिरकर 45,000 डॉलर हो जाती है:

1. **स्पॉट नुकसान:** आपके 1 BTC की कीमत 5,000 डॉलर कम हो जाती है। 2. **फ्यूचर्स लाभ:** आपके 0.5 BTC शॉर्ट फ्यूचर्स पोजीशन पर आपको लाभ होता है (क्योंकि कीमत गिरी है)।

यह रणनीति सरल हेजिंग रणनीतियाँ का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यह आपके पूरे पोर्टफोलियो को लॉक नहीं करता है, लेकिन यह आपकी स्पॉट होल्डिंग्स के आधे हिस्से को अल्पकालिक अस्थिरता से बचाता है।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि हेजिंग के लिए सही टाइमफ्रेम का सही चुनाव करना आवश्यक है, क्योंकि आप केवल उस अवधि के लिए जोखिम को कम कर रहे हैं जिसके लिए आपने हेज किया है।

तकनीकी संकेतकों का उपयोग करके एंट्री और एग्जिट टाइमिंग

फ्यूचर्स ट्रेडिंग में लीवरेज के कारण, सही समय पर प्रवेश करना और बाहर निकलना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। शुरुआती ट्रेडर अक्सर छोटी अवधि के चार्ट विश्लेषण के लिए कुछ बुनियादी संकेतकों का उपयोग करते हैं।

1. रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स (RSI)

RSI एक गति सूचक है जो यह मापता है कि कोई संपत्ति ओवरबॉट (अत्यधिक खरीदी गई) है या ओवरसोल्ड (अत्यधिक बेची गई)।

  • **एंट्री (लॉन्ग के लिए):** यदि RSI 30 के स्तर से नीचे गिरता है और फिर वापस ऊपर जाना शुरू करता है, तो यह खरीदारी का संकेत हो सकता है।
  • **एग्जिट (शॉर्ट के लिए):** यदि RSI 70 के स्तर से ऊपर चढ़ता है और फिर नीचे आना शुरू करता है, तो यह एक संभावित बिक्री या शॉर्ट कवरिंग का संकेत हो सकता है।

आरएसआई के साथ एंट्री टाइमिंग पर अधिक जानकारी उपलब्ध है।

2. मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस डाइवर्जेंस (MACD)

MACD दो मूविंग एवरेज के बीच संबंध को दर्शाता है और गति में बदलाव को पहचानने में मदद करता है।

  • **एंट्री (लॉन्ग):** जब MACD लाइन सिग्नल लाइन को नीचे से ऊपर की ओर काटती है (तेजी का क्रॉसओवर)।
  • **एग्जिट:** जब MACD लाइन सिग्नल लाइन को ऊपर से नीचे की ओर काटती है (मंदी का क्रॉसओवर)।

एमएसीडी से एग्जिट सिग्नल पहचानना महत्वपूर्ण है ताकि आप अपने लाभ को सुरक्षित कर सकें।

3. बोलिंगर बैंड्स (Bollinger Bands)

बोलिंगर बैंड्स बाजार की अस्थिरता को मापते हैं। बैंड्स के सिकुड़ने का मतलब है कम अस्थिरता, जबकि फैलने का मतलब है उच्च अस्थिरता।

  • **एंट्री:** कीमत का निचले बैंड को छूना या तोड़ना अक्सर एक ओवरसोल्ड स्थिति और संभावित लॉन्ग एंट्री का संकेत देता है (बशर्ते बाजार की समग्र दिशा बुलिश हो)।
  • **एग्जिट:** कीमत का ऊपरी बैंड को छूना या तोड़ना एक ओवरबॉट स्थिति और संभावित शॉर्ट एंट्री या लॉन्ग एग्जिट का संकेत देता है।

बोलिंगर बैंड्स का सही उपयोग कैसे करें यह जानने के लिए कि बाजार कब 'खींच' रहा है।

जोखिम प्रबंधन और मनोविज्ञान

फ्यूचर्स ट्रेडिंग में लीवरेज का उपयोग करने का मतलब है कि जोखिम संतुलन स्पॉट और फ्यूचर्स में अत्यंत महत्वपूर्ण है।

मार्जिन और लिक्विडेशन

फ्यूचर्स ट्रेडिंग में, आपको अपनी पोजीशन को बनाए रखने के लिए एक निश्चित राशि को मार्जिन के रूप में रखना होता है। यदि बाजार आपके विरुद्ध जाता है और आपका मार्जिन एक निश्चित स्तर (मेंटेनेंस मार्जिन) से नीचे गिर जाता है, तो एक्सचेंज आपकी पोजीशन को स्वचालित रूप से बंद कर देगा—इसे लिक्विडेशन या परिसमापन कहते हैं। मार्जिन कॉल से कैसे बचें यह जानना शुरुआती लोगों के लिए जीवन रक्षक है।

ट्रेडिंग मनोविज्ञान

फ्यूचर्स बाजार की गति अक्सर स्पॉट मार्केट की तुलना में तेज होती है, जिससे भावनाएं हावी हो सकती हैं।

  • **लालच:** लीवरेज के कारण बड़े लाभ की संभावना लालच को जन्म देती है, जिससे ट्रेडर स्टॉप-लॉस नहीं लगाते हैं।
  • **डर:** लिक्विडेशन का डर ट्रेडर को सही समय पर बाहर निकलने से रोकता है।

इन भावनाओं से बचने के लिए, ट्रेडिंग जर्नल क्यों रखें आवश्यक है ताकि आप अपने फैसलों का निष्पक्ष मूल्यांकन कर सकें। ट्रेडिंग मनोविज्ञान की सामान्य गलतियाँ को समझना महत्वपूर्ण है।

जोखिम प्रबंधन के नियम

1. **हमेशा स्टॉप-लॉस का उपयोग करें:** यह आपकी अधिकतम स्वीकार्य हानि को परिभाषित करता है। 2. **छोटी रकम से शुरुआत करें:** लीवरेज का उपयोग करने से पहले छोटी रकम से शुरुआत करें और अपनी रणनीति को सिद्ध करें। 3. **पूंजी की सुरक्षा:** अपने सभी फंड्स को एक ही प्लेटफॉर्म पर न रखें। फंड्स को सुरक्षित रखना आपकी सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। 4. **सुरक्षा:** अपने एक्सचेंज खातों के लिए टू फैक्टर प्रमाणीकरण का महत्व और सुरक्षित पासवर्ड नीतियाँ अपनाएं।

एक सरल ट्रेडिंग जोखिम उदाहरण

यह तालिका दिखाती है कि लीवरेज कैसे जोखिम को बढ़ाता है, भले ही आप केवल 1% की चाल पर ध्यान केंद्रित कर रहे हों (मान लीजिए कि आप 10x लीवरेज का उपयोग कर रहे हैं)।

पैरामीटर स्पॉट ट्रेड (1x) फ्यूचर्स ट्रेड (10x लीवरेज)
ट्रेड साइज़ (USD) 1000 1000 (मार्जिन) पर 10,000 का एक्सपोजर
कीमत में बदलाव (नुकसान) -1% (10 डॉलर) -1% (100 डॉलर का नुकसान)
मार्जिन पर प्रतिशत नुकसान 1% 10% (100/1000)

जैसा कि आप देख सकते हैं, 1% की कीमत में गिरावट स्पॉट ट्रेडर को 1% का नुकसान पहुंचाती है, जबकि 10x लीवरेज वाले ट्रेडर को उसके मार्जिन का 10% नुकसान होता है।

निष्कर्ष

फ्यूचर्स ट्रेडिंग स्पॉट बाजार का एक शक्तिशाली विस्तार है जो हेजिंग और शॉर्ट सेलिंग की अनुमति देता है। यह फ्यूचर्स में लाभ की संभावना प्रदान करता है, लेकिन इसके लिए स्पॉट ट्रेडिंग के मूल सिद्धांत की गहरी समझ और कठोर जोखिम प्रबंधन की आवश्यकता होती है। हमेशा याद रखें कि लीवरेज एक दोधारी तलवार है। अपनी रणनीतियों को रिकॉर्ड करें और अपने ट्रेडों का विश्लेषण करें ताकि आप लगातार सुधार कर सकें।

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