HI: फ्यूचर्स में मार्जिन की आवश्यकता

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फ्यूचर्स में मार्जिन आवश्यकता

क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया में, फ्यूचर्स ट्रेडिंग क्या है एक रोमांचक लेकिन जटिल क्षेत्र है। जब आप फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट में ट्रेड करते हैं, तो आप सीधे संपत्ति (जैसे बिटकॉइन) खरीदने या बेचने के बजाय भविष्य की तारीख पर एक निश्चित मूल्य पर खरीदने या बेचने के लिए सहमत होते हैं। इस प्रक्रिया को संभव बनाने के लिए, आपको एक विशेष प्रकार की जमा राशि की आवश्यकता होती है जिसे 'मार्जिन' कहा जाता है। फ्यूचर्स में मार्जिन की आवश्यकता को समझना सफल ट्रेडिंग की कुंजी है।

मार्जिन क्या है और यह क्यों महत्वपूर्ण है?

मार्जिन वह राशि है जिसे आप एक फ्यूचर्स पोजीशन खोलने के लिए अपने ब्रोकर (एक्सचेंज) के पास जमा करते हैं। यह अनिवार्य रूप से एक अच्छी आस्था की जमा राशि है जो यह सुनिश्चित करती है कि आपके पास संभावित नुकसान को कवर करने के लिए पर्याप्त धन है। यह आपके कुल अनुबंध मूल्य का केवल एक छोटा सा हिस्सा होता है, जो लीवरेज का शुरुआती परिचय के कारण संभव हो पाता है।

फ्यूचर्स ट्रेडिंग में, आप अक्सर छोटी रकम से शुरुआत करें के सिद्धांत का पालन करते हुए, अपने पास मौजूद वास्तविक पूंजी से कहीं अधिक मूल्य के ट्रेड को नियंत्रित कर सकते हैं। यही कारण है कि मार्जिन इतना महत्वपूर्ण है।

मार्जिन की आवश्यकता को दो मुख्य भागों में बांटा जा सकता है:

1. आरंभिक मार्जिन (Initial Margin): वह न्यूनतम राशि जो आपको कोई नई पोजीशन खोलने के लिए अपने स्पॉट वॉलेट और फ्यूचर्स मार्जिन खाते में रखनी होती है। 2. रखरखाव मार्जिन (Maintenance Margin): यह वह न्यूनतम राशि है जिसे आपको अपनी खुली हुई पोजीशन को बनाए रखने के लिए अपने खाते में हर समय रखना होगा। यदि बाजार आपके विरुद्ध जाता है और आपका खाता शेष इस स्तर से नीचे गिर जाता है, तो आपको एक 'मार्जिन कॉल' प्राप्त होगा।

यदि आप मार्जिन कॉल का जवाब नहीं देते हैं (यानी, अधिक फंड जमा नहीं करते हैं), तो एक्सचेंज आपकी पोजीशन को स्वचालित रूप से बंद कर सकता है ताकि वे संभावित नुकसान से बच सकें। इसे लिक्विडेशन (Liquidation) कहा जाता है।

मार्जिन की गणना और लीवरेज

मार्जिन की आवश्यकता सीधे आपके द्वारा उपयोग किए जा रहे लीवरेज का शुरुआती परिचय से संबंधित होती है। लीवरेज आपको अपनी पूंजी के गुणक के साथ ट्रेड करने की अनुमति देता है।

उदाहरण के लिए, यदि आप 10x लीवरेज का उपयोग कर रहे हैं, तो इसका मतलब है कि 1000 डॉलर के कॉन्ट्रैक्ट को नियंत्रित करने के लिए आपको केवल 100 डॉलर (आरंभिक मार्जिन) की आवश्यकता होगी।

मार्जिन प्रतिशत की गणना इस प्रकार की जाती है:

मार्जिन प्रतिशत = (1 / लीवरेज) * 100

यदि आप 20x लीवरेज का उपयोग करते हैं, तो आरंभिक मार्जिन आवश्यकता केवल 5% (1/20) होगी। यह उच्च लाभ की संभावना प्रदान करता है, लेकिन साथ ही ट्रेडिंग मनोविज्ञान की सामान्य गलतियाँ जैसे लालच को भी जन्म दे सकता है।

फ्यूचर्स ट्रेडिंग में, मार्जिन की गणना करते समय, आपको ट्रेडिंग शुल्क की गणना पर भी ध्यान देना चाहिए, क्योंकि ये शुल्क आपके मार्जिन खाते से काटे जाते हैं।

स्पॉट होल्डिंग्स को फ्यूचर्स के साथ संतुलित करना (हेजिंग)

कई ट्रेडर स्पॉट मार्केट में क्रिप्टोकरेंसी खरीदते हैं और रखते हैं (होल्ड करते हैं)। वे फ्यूचर्स का उपयोग अपने स्पॉट होल्डिंग्स को अल्पकालिक बाजार गिरावट से बचाने के लिए कर सकते हैं। इसे हेजिंग (Hedging) कहते हैं।

मान लीजिए आपके पास 1 बिटकॉइन है जिसकी कीमत $50,000 है, और आपको लगता है कि अगले सप्ताह बाजार थोड़ा गिर सकता है, लेकिन आप अपना बिटकॉइन बेचना नहीं चाहते।

आपकी रणनीति यह हो सकती है:

1. स्पॉट होल्डिंग: 1 BTC (खरीदा हुआ) 2. फ्यूचर्स एक्शन: आप 1 BTC के बराबर मूल्य का एक 'शॉर्ट' फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट खोलते हैं।

यदि बिटकॉइन की कीमत $50,000 से गिरकर $45,000 हो जाती है:

  • आपके स्पॉट होल्डिंग में $5,000 का नुकसान होता है।
  • आपके फ्यूचर्स शॉर्ट पोजीशन में लगभग $5,000 का लाभ होता है (मार्जिन और लीवरेज का शुरुआती परिचय के आधार पर)।

इस तरह, आपके शुद्ध लाभ/हानि पर बाजार की बड़ी गिरावट का असर कम हो जाता है। यह जोखिम संतुलन स्पॉट और फ्यूचर्स में का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। इसे सरल हेजिंग रणनीतियाँ के तहत सीखा जाता है।

फ्यूचर्स में मार्जिन की आवश्यकता यहां यह सुनिश्चित करती है कि आप शॉर्ट पोजीशन को बनाए रखने के लिए पर्याप्त गारंटी राशि रखते हैं। यदि आप केवल आंशिक रूप से हेज करना चाहते हैं (उदाहरण के लिए, केवल आधे बिटकॉइन के लिए), तो आप केवल 0.5 BTC के बराबर कॉन्ट्रैक्ट शॉर्ट करेंगे।

मार्जिन मोड: आइसोलेटेड बनाम क्रॉस

फ्यूचर्स ट्रेडिंग में, मार्जिन का उपयोग कैसे किया जाता है, यह चुनने के लिए आपके पास आमतौर पर दो मोड होते हैं: आइसोलेटेड बनाम क्रॉस मार्जिन

  • आइसोलेटेड मार्जिन: इस मोड में, पोजीशन के लिए उपयोग किया जाने वाला मार्जिन उस विशिष्ट ट्रेड के लिए अलग रखा जाता है। यदि वह ट्रेड लिक्विडेट (तरल) हो जाता है, तो आप केवल उस पोजीशन के लिए आवंटित मार्जिन खोते हैं। यह शुरुआती लोगों के लिए अधिक सुरक्षित है।
  • क्रॉस मार्जिन: इस मोड में, आपकी पूरी फ्यूचर्स खाता शेष राशि (यानी, आपके फ्यूचर्स मार्जिन में उपलब्ध सभी फंड) का उपयोग आपकी सभी खुली पोजीशनों के लिए एक संयुक्त मार्जिन के रूप में किया जाता है। यदि एक पोजीशन घाटे में जाती है, तो यह अन्य पोजीशनों को बचाने के लिए आपके शेष खाते का उपयोग कर सकती है, लेकिन इसका मतलब यह भी है कि एक खराब ट्रेड आपके पूरे खाते को जोखिम में डाल सकता है।

तकनीकी संकेतकों का उपयोग करके एंट्री/एग्जिट टाइमिंग

केवल मार्जिन पर ध्यान केंद्रित करना पर्याप्त नहीं है; आपको यह भी जानना होगा कि पोजीशन कब खोलनी है या बंद करनी है। बाजार की दिशा का अनुमान लगाने के लिए कुछ सामान्य संकेतक हैं:

1. रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स (RSI)

RSI एक गति ऑसिलेटर है जो मापता है कि कोई संपत्ति ओवरबॉट (अत्यधिक खरीदी गई) है या ओवरसोल्ड (अत्यधिक बेची गई)।

  • एंट्री (लॉन्ग): यदि RSI 30 के स्तर से नीचे गिरता है (ओवरसोल्ड क्षेत्र), तो यह संभावित खरीदारी का संकेत हो सकता है। आरएसआई के साथ एंट्री टाइमिंग में, ट्रेडर अक्सर इस स्तर से ऊपर लौटने की प्रतीक्षा करते हैं।
  • एग्जिट (शॉर्ट/टेक प्रॉफिट): यदि RSI 70 के स्तर से ऊपर जाता है (ओवरबॉट क्षेत्र), तो यह संभावित बिक्री का संकेत हो सकता है।

2. मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस डाइवर्जेंस (MACD)

MACD एक ट्रेंड-फॉलोइंग मोमेंटम इंडिकेटर है जो दो मूविंग एवरेज के बीच संबंध दिखाता है।

  • एंट्री (लॉन्ग): जब MACD लाइन सिग्नल लाइन को नीचे से ऊपर की ओर काटती है (बुलिश क्रॉसओवर)।
  • एग्जिट: जब MACD लाइन सिग्नल लाइन को ऊपर से नीचे की ओर काटती है (बेयरिश क्रॉसओवर)। एमएसीडी से एग्जिट सिग्नल पहचानना एक आम रणनीति है।

3. बोलिंगर बैंड्स (Bollinger Bands)

बोलिंगर बैंड्स का उपयोग कैसे करें यह समझने के लिए उपयोगी है कि कीमत कितनी अस्थिर है। बैंड्स कीमत के आसपास एक लिफाफा बनाते हैं।

  • एंट्री (लॉन्ग): जब कीमत निचले बोलिंगर बैंड्स को छूती है या उससे नीचे चली जाती है, यह संकेत दे सकता है कि कीमत बहुत कम हो गई है और वापस ऊपर जा सकती है।
  • एग्जिट: जब कीमत ऊपरी बैंड को छूती है, जो अत्यधिक खरीद का संकेत दे सकता है।

इन संकेतकों का उपयोग करते समय, हमेशा स्टॉप लॉस ऑर्डर सेट करना याद रखें, खासकर जब आप लीवरेज का उपयोग कर रहे हों।

मनोवैज्ञानिक जाल और जोखिम प्रबंधन

फ्यूचर्स में मार्जिन का उपयोग करने का सबसे बड़ा खतरा अत्यधिक आत्मविश्वास और डर है।

1. ओवर-लीवरेजिंग: बहुत अधिक लीवरेज का उपयोग करना मार्जिन खाते को तेजी से खाली कर सकता है। भले ही आप अपनी पोजीशन को कवर करने के लिए पर्याप्त मार्जिन रखते हों, थोड़ी सी भी अप्रत्याशित वोलैटिलिटी इंडेक्स का अर्थ के कारण लिक्विडेशन हो सकता है। 2. नुकसान से इनकार: नुकसान को स्वीकार करने की कला फ्यूचर्स ट्रेडिंग में महत्वपूर्ण है। यदि बाजार आपके विरुद्ध जा रहा है और आपका मार्जिन रखरखाव स्तर के करीब है, तो नुकसान को स्वीकार करना और पोजीशन को बंद करना बेहतर है बजाय इसके कि आप लिक्विडेशन का इंतजार करें। 3. फियर ऑफ मिसिंग आउट (FOMO): जब कोई कॉइन तेजी से बढ़ रहा होता है, तो ट्रेडर उच्च कीमत पर पोजीशन ले लेते हैं, अक्सर पर्याप्त मार्जिन के बिना।

हमेशा याद रखें कि फ्यूचर्स ट्रेडिंग में जोखिम बहुत अधिक होता है, और आपको केवल उतना ही पैसा लगाना चाहिए जितना आप खोने का जोखिम उठा सकते हैं। फ्यूचर्स खाते में फंड ट्रांसफर करने से पहले, फंड जमा करने के तरीके और उनसे जुड़े नियमों को समझ लें।

मार्जिन की आवश्यकता सारांश तालिका

यह तालिका दर्शाती है कि लीवरेज और मार्जिन कैसे संबंधित हैं:

लीवरेज (Leverage) आवश्यक आरंभिक मार्जिन (Initial Margin)
5x 20%
10x 10%
25x 4%
100x 1%

यह तालिका स्पष्ट करती है कि उच्च लीवरेज का अर्थ है कम मार्जिन की आवश्यकता, लेकिन उच्च जोखिम। फ्यूचर्स ट्रेडिंग में सफल होने के लिए, आपको ट्रेडिंग की शब्दावली सीखना होगी और जोखिम को प्रबंधित करने के लिए स्टॉप लॉस ऑर्डर सेट करना एक अनिवार्य कदम है, चाहे आप डेली ट्रेडिंग बनाम स्विंग ट्रेडिंग कर रहे हों।

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